A Venture by Ferns N Petals

pitrapatch 2022

पिंडदान करने की विधि तथा सामग्री से जुड़ी सारी जानकारी

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष की बहुत मान्यता है। हर साल कुछ 13 दिनों की अवधि के लिए सभी लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध आदि करते हैं। हर साल सितंबर महीने में पितृ पक्ष की शुरुआत होती है। चलिए फिर जानते हैं कि इस साल यानी 2022 में पितृ पक्ष कब से शुरू हो रहे हैं, श्राद्ध करने की तिथि क्या होगी, इसका महत्व क्या है आदि।

● श्राद्ध क्या होता है?

श्राद्ध के नाम से ही पता चलता है कि किसी के प्रति श्रद्धा भाव को प्रकट करना। यही कारण है कि जो भी लोग मृत हो गए हैं, उनका श्राद्ध किया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माता पार्वती और शिव को श्रद्धा विश्वास रुपिणौ है।

● पितृ पक्ष का इतिहास क्या है?

अब जब हिंदू धर्म के लोग हर साल पितरों को भोजन खिलाते हैं, तो ऐसे में ये जानना सभी के लिए बेहद आवश्यक हो जाता है कि आखिर इसका इतिहास क्या है। कैसे इसकी शुरुआत हुई। चलिए फिर देखते हैं इसका इतिहास। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है। माना जाता है कि जब राजा कर्ण की मृत्यु हुई तो उन्हें स्वर्ग में जगह दी गई है। वहां पर उन्हें खाने पीने को भोजन की जगह सोना चांदी दिया गया। अब राजा कर्ण उसे खा तो सकते नहीं  थे। वो बड़ी ही विकट स्थिति में थे। फिर उन्हें थक हारकर स्वर्ग के स्वामी इंद्र से यह प्रश्न पूछ ही लिया कि आखिर उन्हें खाने पीने के लिए भोजन की जगह सोना चांदी क्यों दिया जा रहा है। इस बात का जवाब देते हुए राजा इंद्र ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में भले ही सबको खूब सोना चांदी दान किया हो और दानवीर कर्ण नाम पाया हो, लेकिन उन्होंने कभी अपने पूर्वजों को भोजन नहीं खिलाया। यह सुनकर कर्ण ने इंद्र से बोला कि उन्हें अपने पूर्वजों का कोई भी बोध नहीं था। इसके बाद कर्ण को वापस 15 दिनों के लिए धरती पर भेज दिया जाता है। कर्ण इस बात से सहमत हो जाते हैं और धरती पर आकर 15 दिनों की अवधि के दौरान अपने पितरों को भोजन आदि खिलाते हैं। बस इसी 15 दिन की अवधि को अब हम सभी पितृ पक्ष के तौर पर जानते हैं और इन दिनों में अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान प्रकट करते हैं।

● 2022 में श्राद्ध पक्ष की तिथि कब से कब तक की होगी?

◆ 10 सितंबर 2022, शनिवार– पूर्णिमा श्राद्ध, भाद्रपद, शुक्ल पूर्णिमा

◆ 10 सितंबर 2022, शनिवार– प्रतिपदा श्राद्ध, अश्विना, कृष्ण प्रतिपदा

◆ 11 सितंबर 2022, रविवार– अश्विना, कृष्णा द्वितीया

◆ 12 सितंबर 2022, सोमवार– अश्विना, कृष्ण तृतीया

◆ 13 सितंबर 2022, मंगलवार– अश्विना, कृष्ण चतुर्थी

◆ 14 सितंबर 2022, बुधवार – अश्विना, कृष्ण पंचमी

◆ 15 सितंबर 2022, गुरुवार– अश्विना, कृष्ण षष्ठी

◆ 16 सितंबर 2022, शुक्रवार – अश्विना, कृष्ण सप्तमी

◆ 18 सितंबर 2022, रविवार – अश्विना, कृष्ण अष्टमी

◆ 19 सितंबर 2022, सोमवार– अश्विना, कृष्ण नवमी

◆ 20 सितंबर 2022, मंगलवार– अश्विना, कृष्ण दशमी

◆ 21 सितंबर 2022, बुधवार – अश्विना, कृष्ण एकादशी

◆ 22 सितंबर 2022, गुरुवार – अश्विना, कृष्ण द्वादशी

◆ 23 सितंबर 2022, शुक्रवार  – अश्विना, कृष्ण त्रयोदशी

◆ 24 सितंबर 2022, शनिवार – अश्विना, कृष्ण चतुर्दशी

◆ 25 सितंबर 2022, रविवार– अश्विना, कृष्ण अमावस्या

● पूर्वजों का श्राद्ध किस दिन किया जाना चाहिए?

अगर पितरों की आत्मा की शांति के लिए कोई भी व्यक्ति श्राद्ध करना चाहता है तो वो हर माह इस काम को कर सकता है, लेकिन पितृ पक्ष में किया जाने वाला श्राद्ध सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है। अब इसमें भी एक विशेष तिथि होती है जिसमें आपको पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। अगर आपको ये पता है कि आपके पूर्वज का देहांत किस तिथि को हुआ है तो आप पितृ पक्ष में उनकी देहांत की तिथि को ही उनका श्राद्ध करें। कई बार ऐसा भी होता है कि आपके वो तिथि याद नहीं रहती है जिस दिन पूर्वज का निधन हुआ हो। ऐसे में आप आश्विन अमावस्या को उनका श्राद्ध कर सकते हैं। इसी आश्विन अमावस्या को ही सर्वपितृ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। जिन लोगों की अकाल मृत्यु हो जाती है यानी समय के पहले जिनकी मौत हो जाती है, उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जाना चाहिए। अगर आप पिता का श्राद्ध करते हैं तो इसके लिए अष्टमी तिथि उपयुक्त होती है, वहीं यदि आप माता का श्राद्ध करते हैं तो इसके लिए नवमी तिथि काफी उपयुक्त मानी जाती है

● पितृ पक्ष 2022 में समारोह और परंपरा;-

पितृ पक्ष में श्राद्ध का अनुष्ठान किया जाता है। ये अनुष्ठान हर व्यक्ति के लिए अलग अलग हो सकता है। बावजूद इसके इसमें 3 घटकों को जोड़ने का प्रयास किया जाता है। इसमें पहला घटक होता है पिंडदान का, जिसमें पिंडा का प्रसाद पूर्वजों को दिया जाता है। अब आप सभी के मन में ये सवाल आ रहा होगा कि पिंडा क्या होता है। तो हम आपको बता दें कि पिंडा चावल की बॉल्स की तरह होते हैं जो कि बकरी के दूध, घी, चीनी, शहद, चावल या फिर जौ से बनाए जाते हैं। इस समारोह में जो दूसरा घटक होता है वो तर्पण होता है, जिसमें जौ कुशा घास, मिश्री, आटे और काले तिल को मिलाकर जल अर्पित किया जाता है। इस समारोह का अंतिम भाग होता है ब्राह्मणों को भोजन खिलाना।

इसके अलावा पितृ पक्ष के दौरान काफी सारी चीजों को करने से बचना चाहिए जैसे मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। कोई भी नया कार्य नहीं करना चाहिए आदि।

● पितृ पक्ष के दौरान कैसे करें श्राद्ध?

◆ पितृ पक्ष के दौरान आप जब भी श्राद्ध करें तो ध्यान रखें कि आप सुबह सूर्योदय होने से पहले ही स्नान कर लें। इसके बाद आप अपने मुंह में कुछ भी न डालें। अगर कोई व्यक्ति बीमार है तो वो चाय पी सकता है, लेकिन जहां तक हो सके वहां तक इसमें चाय भी नहीं पीनी चाहिए।

◆ श्राद्ध करने के लिए जो सही समय है वो दोपहर 12 बजे का होता है।

◆ जब भी आप कर्म करें तो ये ध्यान में रखें कि आपका बायां पैर मुड़ा हुआ होना चाहिए और आपका मुख दक्षिण दिशा में होना चाहिए।

◆ तांबे के बर्तन में आपको तिल, जौ, चावल, गंगाजल गाय का कच्चा दूध, फूल, पानी आदि डालना है। इसके बाद हाथों में कुशा घास को रखना है। इसके बाद आपको दोनों हाथों में जल भरना है और अंगूठे से उसी बर्तन में गिरा देना है।

◆ इस तरह से जल देने की क्रिया को आपको 11 बार करना है। जब आप जल अर्पित करें तो उस समय पितरों को याद अवश्य करें।

◆ एक बात ध्यान में रखें कि पितरों का भोग एकदम स्वच्छ होना चाहिए। अगर महिलाओं को मासिक धर्म आ रहा हो तो वो भोग आदि में हाथ न लगाएं।

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *