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पितृ दोष

पितरों से हर किसी का जीवन प्रभावित होती है। पितर मनुष्य के जीवन में बहुत ही गहरा प्रभाव डालते हैं। लोग इनको प्रशन्न करने के लिए पूरी कोशिश करते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जाता है कि अगर पितर खुश नहीं रहते हैं तो वो आपको भी खुश नहीं रहने देते हैं। ऐसे में पितरों को खुश करना बेहद आवश्यक है। वरना घर की सुख शांति इससे प्रभावित होती है। इसके साथ ही बनते हुए काम भी बिगड़ने लगते हैं। ऐसे में पितृ दोष को खत्म करना बहुत ज़रूरी हो जाता है। इसको समाप्त करने के लिए पितृ दोष की पूजा सम्पन्न कराई जाती है। ये पूजा अमावस्या या फिर पितृ पक्ष में कभी भी कराई जा सकती है। इसके बाद व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। आइये आगे जानते हैं कि पितृ दोष की यह पूजा कहां पर और कैसे सम्पन्न कराई जाती है।

● पितृ दोष निवारण के लिए पूजा:-

पितृ पक्ष माह की तिथियों में हर कोई अपने पूर्वजों को खुश करने के लिए तर्पण करता है। इस महीने में लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध करते हैं और इसको श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है। असल मायने में श्राद्ध का मतलब होता है श्रद्धापूर्वक अपने पितरों के प्रति सम्मान को दर्शना। हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि अपने पितरों को श्राद्ध पक्ष में 15 दिनों तक एक विशेष समय में श्राद्ध या फिर सम्मान दिया जाए। इसी विशेष अवधि को श्राद्ध पक्ष के नाम से जाना जाता है। इसी को कुछ लोग पितृ पक्ष के नाम से भी जानते हैं। पुराणों के अनुसार पितृ पक्ष की अवधि तब शुरू होती है जब कन्या राशि में सूर्य का प्रवेश होता है। इसी पितृ पक्ष के दौरान जब श्राद्ध किया जाता है तो उसका विशेष महत्व होता है और उसे सर्वोत्तम माना जाता है। इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।

जिन लोगों को पितृ दोष होता है उन्हें किसी भी काम में सफलता नहीं हासिल होती है। ऐसे में व्यक्ति जो भी कार्य करता है उसमें उसे हानि ही होती है। इसीलिए इस दोष से जल्द से जल्द मुक्त हो जाना चाहिए। इसके लिए सबसे सरल उपाय है कि व्यक्ति अपने पितरों का श्राद्ध करे। इसके साथ ही घर में पितृ दोष के निवारण के लिए पूजा भी सम्पन्न करवाई जाती है। वैसे तो ये पूजा श्राद्ध पक्ष में करवाने से लाभ की प्राप्ति होती है। इस पूजा को पितृ मोक्ष अमावस्या के दिन करवाने से भी पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है।

● पितृ दोष निवारण पूजा का क्या प्रभाव पड़ता है?

इस पूजा से अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष की समस्या रहती है तो वो खत्म हो जाती है। इसी के साथ ये भी माना जाता है कि इससे व्यक्ति का आध्यात्म की तरफ ध्यान केंद्रित होता है और आत्मिक शांति की प्राप्ति होने लगती है। इस पूजा से पितरों के बुरे प्रभावों को कम किया जा सकता है और जिस काम में भी व्यक्ति असफल हो रहे हैं, उसमें उन्हें सफलता की प्राप्ति हो सकती है। इसमें व्यक्ति पितृ दोष को खत्म करने के लिए अपने पितरों का ध्यान करें और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।

● पितृ दोष की पूजा कब करनी चाहिए?

अगर ये पूजा अमावस्या के दिन की जाए तो इसका विशेष लाभ प्राप्त होता है। इसी के साथ पितृ पक्ष के समय कभी भी पितृ दोष निवारण पूजा की जा सकती है। इस पूजा को मुख्यतः दोपहर के समय में किया जाना चाहिए तभी व्यक्ति पितृ दोष से मुक्त हो पाएंगे।

● पितृ दोष पूजन में इस्तेमाल होने वाली सामग्री:-

इसमें निम्न सामग्री को शामिल किया जाना चाहिए। फूल पान के पत्ते, पूजा सुपारी, हवन सामग्री, अक्षत, रोली, जनेऊ, कपूर, शहद, चीनी, हल्दी, गुलाबी कपड़ा, धूप, देसी घी, मिष्ठान, गंगाजल, कलावा, हवन के लिए लकड़ी (आम की लकड़ी), आम के पत्ते और पांच प्रकार की मिठाई ।

● पितृ दोष निवारण पूजा से होने वाले लाभ:-

इस पूजा को सम्पन्न कराने से काफी लाभ होता है। सबसे पहले तो जिन व्यक्तियों की कुंडली में पितृ दोष निहित है, उन्हें इससे मुक्ति मिल जाती है। जिस काम में बाधा या रुकावट आ रही है, वो सारे काम बनने लगते हैं। घर में सुख शांति का वास होता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह दिखाई देता है कि जिस व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष होता है, पूजा के बाद उसमें आत्मविश्वास बढ़ा हुआ दिखाई देने लगता है। इसीलिए पितरों को खुश करना बहुत आवश्यक होता है। अगर पितर खुश नहीं रहते हैं तो उनके परिजन भी खुश नहीं रह सकते हैं।

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